Monday, September 10, 2018

विवेचनाः रिझाने की कला भूलते जा रहे हैं भारतीय?

ये एक विडंबना है कि भारत जैसे देश में जहाँ कामसूत्र की अवधारणा रची गई और प्रेम की भाषा को खजुराहो, दिलवाड़ा, अजंता और एलोरा के पत्थरों पर उकेरा गया, वहीं लोग प्रेम संवाद और रिझाने की कला भूलते जा रहे हैं.
एक अंग्रेज़ लेखक हुए हैं साइमन रेवेन जिनका मानना था कि 'सेक्स एक 'ओवररेटेड 'अनुभूति है जो मात्र 10 सेकेंड के लिए रहती है.' वो सवाल करते थे कि भला कोई क्यों प्राचीन भारत के ' एरॉटिक साहित्य' का अनुवाद करने की ज़हमत उठाए?
मैंने यही सवाल रखा चर्चित पुस्तक 'द आर्ट्स ऑफ़ सिडक्शन' की लेखिका डॉक्टर सीमा आनंद के सामने और पूछा कि क्या वो साइमन रेवेन के वक्तव्य से सहमत हैं?
सीमा आनंद का जवाब था, ''बिल्कुल भी नहीं. मेरा मानना है कि सेक्स के बारे में हमारी सोच बदल गई है. कितनी शताब्दियों से हमें ये सिखाया जाता रहा है कि ये बेकार की चीज़ है. सेक्स गंदा है और इसे करना पाप है. कोई अब इससे मिलने वाले आनंद के बारे में बात नहीं करता. 325 ई में कैथलिक चर्च ने अपने क़ायदे-क़ानून बनाए जिसमें कहा गया कि शरीर एक ख़राब चीज़ है, शारीरिक सुख फ़िज़ूल है और इसको पाने की इच्छा रखना पाप है.''
''उनका कहना था कि सेक्स का एकमात्र उद्देश्य संतान को जन्म देना है. लगभग उसी समय भारत में वात्स्यानन गंगा के तट पर बैठ कर कामसूत्र लिख रहे थे और बता रहे थे कि वास्तव में आनंद बहुत अच्छी चीज़ है और इसको किस तरह से बढ़ाया जा सकता है. ''
पश्चिम और पूरब की सोच के बीच इस तरह का विरोधाभास आज के युग में अविश्वसनीय सा लगता है. 'अनंग रंग' ग्रंथ के अनुवादक डॉक्टर एलेक्स कंफ़र्ट ने इसीलिए तो कहा है कि साइमन रेवेन जैसे लोगों की सोच की काट के लिए ये ज़रूरी है कि रिझाने की कला के बारे में लोगों को और बताया जाए.
कहा जाता है कि एक प्रेमी के रूप में मर्द और औरत में बहुत फ़र्क होता है और उनकी यौनिकता यानि 'सेक्शुएलिटी' के स्रोत में भी ज़मीन आसमान का अंतर होता है.
सीमा आनंद बताती हैं, ''वात्स्यायन कहते हैं पुरुष की इच्छाएं आग की तरह हैं जो उसके जननांगों से उठ कर उसके मस्तिष्क की तरफ़ जाती हैं. आग की तरह वो बहुत आसानी से भड़क उठते हैं और उतनी ही आसानी से बुझ भी जाते हैं. इसके विपरीत औरत की इच्छाएं पानी की तरह हैं जो उसके सिर से शुरू हो कर नीचे की तरफ़ जाती हैं. उनको जगाने में पुरुषों की अपेक्षा ज़्यादा वक्त लगता है और एक बार जागने के बाद उन्हें ठंडा करने में भी ख़ासा वक्त लगता है.''
''अगर मर्दों और औरतों को उनके हाल पर छोड़ दिया जाए तो उनकी इच्छाओं में कभी मेल नहीं हो सकता. इसलिए मर्दों को औरतों को रिझाने की ज़रूरत होती है ताकि उनके स्नायुओं के छोर को उत्तेजित किया जा सके. मेरी ये किताब लिखने का उद्देश्य यही है कि रिझाने की कला हर शख़्स के जीवन का एक अंग बन जाए.''
सेक्स पर काफ़ी शोध कर चुके भारत के नामी सेक्सोलॉजिस्ट में से एक डॉक्टर प्रकाश कोठारी स्त्री पुरुष के प्रेम के अंतर को एक दूसरे ढ़ंग से समझाते हैं.
वो कहते हैं, ''मर्द प्यार देता है सेक्स पाने के लिए जबकि औरत सेक्स देती है प्यार पाने के लिए. कम से कम भारत के संदर्भ में ये बात सोलह आने सच है.''त्री-पुरुष संबंधों में शरीर को सुगंधित करने की कला का बहुत महत्व है. अगर किसी स्त्री को किसी पुरुष को आकर्षित करना है तो वो उसे अपने बालों से छूते हुए निकलेगी और अपने पीछे एक ख़ास सुगंध छोड़ जाएगी.
सीमा आनंद बताती है, ''मेरी पसंदीदा सुगंध ख़स की महक है जो बहुत कुछ गर्म धरती पर बारिश की पहली फुआर से उठने वाली सुगंध से मिलती-जुलती है. इस सुगंध को थोड़े से नम बालों पर सुबह सुबह लगा कर उसका जूड़ा बनाया जाता है. गर्दन पर चमेली या रजनीगंधा के फूलों का इत्र लगाया जाता है. स्तनों पर केसर और लौंग के तेल की मालिश की जाती है.''
''इससे न सिर्फ़ अच्छी महक उठती है, बल्कि त्वचा का रंग भी खिल उठता है. दिलचस्प बात ये है कि हर इत्र की हर शरीर पर अलग-अलग महक होती है.''
सीमा आनंद की सलाह है कि औरतों को अपने हैंड बैग के अंदर भी 'पर्फ़्यूम' स्प्रे करना चाहिए, ताकि जब भी आप इसे खोलें, आपको सुगंध का एक भभका महसूस हो और आपका मूड एकदम से खिल जाए.
बेहतर होगा अगर आप अपने जूते या सैंडिल के अंदर भी इत्र का स्प्रे करें क्योंकि पैरों के अंदर बहुत-सी इंद्रियाँ होती हैं जिनपर इनका ख़ासा असर पड़ता है.
सीमा आनंद एक दिलचस्प बात बताती हैं कि स्त्री-पुरुष संबंधों को ताज़ा और रोमांचक बनाने के लिए उनके बीच कभी-कभार झगड़ा होना भी ज़रूरी है.
सीमा बताती हैं, ''वात्स्यायन का कहना है कि ये लड़ाई तभी सफल होती है जब स्त्री-पुरुष के बीच गहरे प्रेम संबंध और आपसी विश्वास हो. लेकिन अगर उनके बीच पहले से ही कड़वाहट हो तो इस तरह कि लड़ाई विकराल रूप ले लेती है, जिसका कोई इलाज नहीं होता है.''
''ये झगड़ा हमेशा पुरुष शुरू करता है. औरत नाराज़ हो कर चिल्लाती है, अपने गहने फेंक देती है, चीज़े तोड़ती है और पुरुष पर फेंक कर मारती है. लेकिन इस लड़ाई का एक नियम है कि चाहे जो हो जाए, वो अपने घर के बाहर कदम नहीं रखती है. कामसूत्र इसका कारण भी बताता है.''
''पहला यह कि अगर पुरुष उसको मनाने उसके पीछे घर से बाहर नहीं जाएगा, तो उसका यानि स्त्री का अपमान होगा. दूसरे इस लड़ाई का अंत तब होता है जब पुरुष स्त्री के पैर पर गिर कर उससे माफ़ी मांगता है और ये काम वो घर के बाहर नहीं कर सकता.''
कामसूत्र की बात मानी जाए तो प्रणय निवेदन करने की एक गुप्त भाषा होती है और इज़हारे इश्क़ सिर्फ़ ज़ुबान से ही नहीं किया जाता.
सीमा आनंद बताती हैं, ''चाहे आप ज़िंदगी में जितने सफ़ल हों, आपके पास कितना ही धन हो, आप बौद्धिक भी हों, लेकिन अगर आपको प्रेम की गुप्त भाषा नहीं आती तो सब बेकार है. आप को कभी पता नहीं चलेगा कि आपकी प्रेमिका आप से क्या कहना चाह रही हैं और आप कभी सफ़ल नहीं हो पाएंगे.''
''पुराने ज़माने में ये कला इतनी विकसित थी कि आप अपने पार्टनर से बिना कोई शब्द बोले गुफ़्तगू कर सकते थे. मसलन आप किसी मेले में हैं और आपकी प्रेमिका दूर खड़ी दिख गईं तो आप कान के ऊपर वाले हिस्से को हाथ लगाएंगे. इसका मतलब हुआ आप कैसी हैं?''
''अगर आपकी प्रेमिका अपने कान के नीचे वाला हिस्सा पकड़ कर आपकी तरफ़ देखें, इसका मतलब हुआ कि आपको देख कर अब बहुत ख़ुश हो गईं हूँ. अगर प्रेमी अपना एक हाथ दिल पर रखे और दूसरा सिर पर, इसका मतलब हुआ कि तुम्हारे बारे में सोच-सोच कर मेरा दिमाग ख़राब हो चला है. हम कब मिल सकते हैं?''

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