Friday, August 31, 2018

बहुमत साबित न कर पाने के बाद येदियुरप्पा ने जैसे

ही इस्तीफ़ा दिया कुमारस्वामी कर्नाटक, तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश के मंदिरों में जाने लगे. अपने शपथ ग्रहण वाले दिन भी वो एक मंदिर, एक दरगाह और एक चर्च में गए थे.
येदियुरप्पा ने भी साल 2008 में मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद केरल के मंदिरों और वैष्णो देवी मंदिर में दर्शन किए थे.
प्रोफ़ेसर अलवर कहते हैं, "बहुत से नेता हैं जिन्होंने ज्योतिष रखे हुए हैं, भले ही उनकी भविष्यवाणी सही हो या नहीं. फिर चाहे वो येदियुरप्पा या कुमारस्वामी जैसे धार्मिक नेता हों या वो नेता जो सार्वजनिक तौर पर नास्तिक होने की बात करें. जो नास्तिक होने की बात कहते हैं उनकी पत्नियां भी मंदिर जाती हैं."
डॉ. मूर्ति कहते हैं, "अगर वो वाक़ई ये मानते हैं कि 'सरकार का काम भगवान का काम' है (ये बात कर्नाटक विधानसभा में भी लिखी है), तो वो ऐसा नहीं करेंगे."
जब कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने लंदन के एक थिंकटैंक 'इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ़ स्ट्रैटेजिक स्टडीज़' में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की तुलना मिस्र में 1928 में जन्मे मुस्लिम ब्रदरहुड की, तो वहां बैठे बुद्धिजीवी भी चौंक गए होंगे कि क्या यह अकल्पनीय तुलना वो जवाहर लाल नेहरू के नाती के मुंह से सुन रहे हैं, जिनकी विश्व इतिहास की समझ की दाद दी जाती थी?
पर कांग्रेस अध्यक्ष को शायद ही कोई फ़र्क पड़ता है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, भाजपा अध्यक्ष अमित शाह और आरएसएस को कोसने के लिए उन्हें जो नया मुहावरा मिल जाता है या उन्हें दिया जाता है, उसका पटाखा फोड़कर वो अगले मुहावरे की तलाश में जुट जाते हैं.
सुख और दुख को, लाभ और हानि को, जय और पराजय को समान समझकर चलते हैं, न तो उन्हें ट्रोलिंग से फ़र्क पड़ता है, न ही उपहास का पात्र बनने से, न झन्नाटेदार आलोचना से! और तथ्य या सत्य के लिए उनके कान पहले ही बंद हैं!
यह अजीबोगरीब तुलना राहुल ने देश के किसी हिस्से में नहीं की बल्कि विदेशी धरती पर की.
'संचार क्रांति' के तहत छत्तीसगढ़ की भाजपा सरकार की मुफ़्त स्मार्टफ़ोन बांटने की योजना पर राहुल ने फ़रमाया कि भाजपा सरकार ये स्मार्टफ़ोन भारत हैवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड (भेल) या बीईएचएल से क्यों नहीं ख़रीद रही है?
कपोल-कल्पना
बात आई-गई हो गई, एक और चुटकुला मानकर भुला दी गई. लेकिन राहुल ने अपनी कपोल-कल्पनाओं की फ़ैक्ट्री से विदेशी धरती यह नया प्रोडक्ट निकाला कि आरएसएस भारत की संस्थाओं पर कब्जा जमाना चाहता है. (शायद उसी तरह जिस तरह कांग्रेस ने अपने राज में देश के सभी प्रमुख संस्थाओं पर कब्जा जमाया?)
उन्होंने कहा, "हमारा सामना एक नए विचार से है, जिसका पुर्नजन्म हुआ है और यह वैसा ही है, जैसे अरब वर्ल्ड में मुस्लिम ब्रदरहुड है."
मुस्लिम ब्रदरहुड कुरान और सर्वमान्य हदीस को शरिया का एकमात्र स्रोत मानता है, उसके आधार पर वैश्विक इस्लामिक समाज और साम्राज्य क़ायम करना चाहता है, चाहता है कि सभी इस्लामी क्षेत्र एक ख़लीफ़ा के तहत एकजुट रहें.
बहाई और अहमदिया जैसे दूसरे मुस्लिम तबके उनके समीकरण में नहीं हैं. उनके लिए मर्द और औरतें अलग-अलग हैं, और नाच-गाना मनोरंजन पाबंदी लायक. अपने उद्देश्यों के लिए निहत्थे नागरिकों पर हिंसा भी जायज है.
उसके नेता मिस्र में अपनी हुकूमत में रहने वाले ईसाइयों और यहूदियों से जजिया कर लेने और उन्हें लगभग दोयम दर्जे का नागरिक बनाए रखने का इरादा जता चुके हैं.
तख़्तापलट और अरब जगत के शासनाध्यक्षों की हत्या की कोशिशें वे कर चुके हैं, कई साज़िशों में उनका नाम आता है.

Sunday, August 26, 2018

中莫双边协议能助莫桑比克实现可持续林业吗?

莫桑比克恢宏壮丽的森林正遭受着规模同样宏大的威胁。和世界上很多森林一样,法律薄弱、腐败猖獗以及非法和过度采伐正在摧毁这一宝贵的资源。

但正如我们在环境与发展国际研究所今天发布的新报告《莫桑比克森林里的中国:生计和可持续性问题及进展综述》中所展示的那样,有了最大贸易伙伴中国的支持,莫桑比克有机会扭转这一局势。通过法规,鼓励中国企业及其在莫桑比克的合作伙伴在该国投资高价值加工产业,以及加强执法对于制止这种破坏至关重要。

令人震惊的是,莫桑比克每年有21.9万公顷的森林遭到砍伐——约每分钟1万平方米。

这不仅会对生物多样性以及减轻气候变化影响的工作产生严重影响,而且关系到莫桑比克的经济状况,有损其可持续发展和造福民众的能力。

更强大的伙伴关系

莫桑比克93%的木材出口至中国,因此后者在莫桑比克森林未来的发展方向方面发挥着关键作用。6月,两国签署了一项谅解备忘录,同意合力制止森林破坏,让莫桑比克民众与中国投资者一道共享林业生产带来的益处。

这一举动是帮助拯救这些森林的关键机会。通过签署谅解备忘录,莫桑比克可以成为其他国家学习如何发展可行的、基于可持续采购的林业产品体系的榜样。而中国承诺在莫桑比克投资建立木材加工厂,将有助于结束当地对华原木出口的历史,并且可以引进现代高效的加工设施,减少浪费,充分利用木材,为当地人创造就业机会,增加当地急需的税收收入。

中国驻莫桑比克的企业已经率先采取了行动,其中一家是森林先生有限公司(Mr Forest Ltd.)。2017年,我曾见过公司的首席执行官郑飞。他15年前来到莫桑比克,用他的话说是“爱上了当地的树木”。从他的身上,我们看到热爱森林和用森林做生意是如何二者兼得的。他已经建立了可持续经营实践,采用了中国政府关于良好林业的指导方针,支持相关社区参与推广非木材类的林业产品。但其他中国投资者还需采取更多行动。协议还希望两国政府合作建立一个双边审核系统,从而打击非法采伐,加强审理的可持续管理。正如我们的报告所示,重要的是,审核系统必须包括开发一个基于互联网和条形码的电子木材追踪系统,可以实现整条供应链的实时数据录入和检查。这对打击腐败、保护森林至关重要。

从莫桑比克流出的木材量往往远高于官方记录的数字。根据联合国商品贸易统计数据库,2013年莫桑比克报告的对华出口木材量为280796立方米,但中国方面记录的进口数量却是这个数字的两倍还多,达601919立方米。

检查和监测工作也需要改进。根据莫桑比克森林专家的计算,为了执行新的木材追踪系统,需要将森林检查员的人数从630名增加至1800名。

长期管理

莫桑比克还需对森林管理和森林法进行重大改革。其中一个问题是如何分配采伐林地,因为普通采伐许可证这种管理办法破坏性尤其大。

普通许可证授权的采伐面积最多为1万公顷,每5年更新一次。但有些许可证的授权面积达到了6万公顷,明显超出限额。由于许可期限短,企业不会等待较小的树木成熟以供未来砍伐,所以森林中的珍贵树种容易一并遭到集体砍伐。取消普通许可证,规定所有特许经营期限为50年,对企业遵守可持续管理计划的情况定期进行评估等必须成为标准。

除了确保谅解备忘录中有关在莫桑比克建设工业规模特许经营权配套加工设施的内容得到有效落实之外,该国的森林法还需将商业林权授予已经拥有土地权的林业社区,其中可以包括建立新的社区森林特许经营权,条件是社区要保持森林的完整。社区有权通过将木材销售给第三方来赚钱,从而调动他们保护森林的积极性。

为了我们的子孙后代,必须采取行动拯救莫桑比克的森林。这一点毋庸置疑。中莫双方必须共同努力,使之成为现实。

Friday, August 17, 2018

अटल बिहारी वाजपेयी ने जब पाकिस्तान की ज़मीन पर रखा था क़दम

भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की पाकिस्तान यात्रा की यादें वहां के लोगों के ज़हन में अभी भी ज़िदा हैं. उनका वो दोस्ताना अंदाज़ अब भी लोगों को याद है.
पाकिस्तान के पूर्व सूचना मंत्री मुशाहिद हुसैन सैय्यद आज भी उस दिन को भूले नहीं हैं जब वाजपेयी बस में बैठकर, वाघा बॉर्डर पार करके लाहौर पहुंचे थे.
साल 1999 में पाकिस्तान यात्रा के वक़्त मेज़बानी संभालने वाले तत्कालीन मंत्री मुशाहिद हुसैन सैय्यद और इस यात्रा को कवर करने वाले बीबीसी उर्दू के आसिफ़ फ़ारुक़ी की स्मृतियों को बीबीसी संवाददाता शुमाइला जाफ़री ने टटोला.
वो 20 फ़रवरी 1999 की तारीख़ थी. दोपहर 4 बजे का वक्त था. उनकी बस में 20-25 लोग थें जिनमें अभिनेता देवानंद थे, कपिल देव भी थे और जावेद अख़्तर भी.
एक ख़ुशगवार माहौल था. लोगों में उत्साह था. सभी को मालूम था कि ये हिंदुस्तान और पाकिस्तान के लिए एक ऐतिहासिक मौका है.समंज़र ये था कि मई 1998 में भारत ने परमाणु परीक्षण किया था. उसके जवाब में पाकिस्तान ने भी परीक्षण किया. तो ये दोनों देशों को मालूम था कि एक नई हक़ीकत आ चुकी है.
दोनों देश एटमी हमसाये हैं. तो वे जानते थे कि अब कश्मीर मसला बातचीत से ही सुलझ सकेगा और जंग का विकल्प ख़त्म हो गया है.
पाकिस्तान के पूर्व मंत्री मुशाहिद हुसैन सैय्यद बताते हैं- "वाजपेयी को लेकर मेरे मन में भी एक छवि थी. एक तो वो भारत के वज़ीरे आज़म थे. वो भारत जो पाकिस्तान का विरोधी है. दूसरा वो भारतीय जनता पार्टी से थे, जो हिंदुत्व की पार्टी है. लेकिन मैंने देखा कि वाजपेयी एक खुले दिल और दिमाग वाले इंसान हैं. बल्कि मैं तो कहूंगा कि वो हिंदुस्तान के सबसे बड़े स्टेट्समैन थे.''
वे कहते हैं, ''उनका विज़न अमरीका के रिचर्ड निक्सन जैसा लगा, जिन्होंने दक्षिणपंथी रिपब्लिकन होते हुए भी कम्युनिस्ट चीन के साथ संबंध बढ़ाए. उनकी 'आउट ऑफ़ बॉक्स' सोच थी. मैं उनकी विनम्रता से बहुत प्रभावित हुआ. आवाज़ धीमी लेकिन मज़बूत नेता और क्लियर विज़न.''
''वो मीनार-ए-पाकिस्तान गए जो एक मेमोरियल है, जहां साल 1940 में जिन्ना साहब ने पाकिस्तान की बुनियाद रखी थी. मैंने उनसे कहा कि आप ये बहुत बड़ा कदम उठाने जा रहे हैं. तो वो बोले कि उन्हें मालूम है. उन्होंने कहा 'भारत में कुछ लोग नाराज़ होंगे, लेकिन ये ज़रूरी है कि पाकिस्तान की जनता को भरोसा दूं.''
मुशाहिद हुसैन सैय्यद कहते हैं, ''लाहौर डेक्लरेशन के वक्त अतिवादी लोगों ने उनसे कहा कि आप खुद चलकर पाकिस्तान क्यों गए, कश्मीर का ज़िक्र क्यों किया, मीनार-ए-पाकिस्तान क्यों गए. लेकिन फिर भी उन्होंने कदम पीछे नहीं हटाए. गवर्नर हाउस में उन्होंने अमन पर बहुत सी बातें कीं. शेर-ओ-शायरी की.''
''उनमें एक सेंस ऑफ़ ह्यूमर भी था. मुझे याद है मुशर्रफ़ साहब ने उन्हें मुस्कुराते हुए कहा था कि हम आपका शुक्रिया अदा करते हैं कि आपके एटमी धमाकों की वजह से हमें भी एटमी देश बनने का मौका मिला. इस बात पर वाजपेयी भी मुस्कुराए. तो इस तरह के खुशगवार माहौल में बातचीत हुई.''
''फिर जब 20 तारीख़ की रात को मैं उन्हें बैंक्वेट ले जा रहा था तो रास्ते में विरोध प्रदर्शन हो रहा था. इसकी वजह से रास्ता भी बंद हो गया था. हमें आदेश मिला कि इस बारे में वाजपेयी जी को कुछ भी न बताया जाए.''
''मैंने उनके कहा कि वाजपेयी साहब इतने बड़े सियासयतदान हैं, बड़े नेता हैं, उन्हें पता होगा. मैंने वाजपेयी जी को बताया कि सर, माफ़ी चाहता हूं, लोग विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं, इसलिए रास्ता ब्लॉक है. तो उन्होंने बड़े आराम से कहा कि कोई बात नहीं, ये होता रहता है, हमारे यहां भी होता रहता है, हम आदी हैं इस चीज़ के.''
मुशाहिद हुसैन सैय्यद आगे बताते हैं, ''जब मैं उनको खाने के लिए लेकर गया तो रास्ते में एक गुरुद्वारा पड़ता है. बोले कि वो वहां जाना चाहते हैं. हमारे वहां पहुंचने से पहले टीयर गैस छोड़ी जा चुकी थी. हवा चल रही थी तो धुआं उनकी आंख तक भी पहुंचा, मुझे बड़ी शर्मिंदगी हुई. मैंने उन्हें टिशू पेपर निकाल कर दिया तो उससे पहले उन्होंने खुद ही अपने रुमाल से आंखें पोंछते हुए कहा कि नहीं-नहीं, हमने ये सब फ़ेस किया है.''
''वो किसी भी तरह के दबाव में बहुत शांति से काम लेते थे. बात तो काफ़ी लोग करते थे, गुजराल साहब भी करते थे, मनमोहन सिंह भी करते थे लेकिन वाजपेयी जी ने जो बात की, उसे करके दिखाया. करगिल के बाद भी उन्होंने मुशर्रफ साहब को दावत दी. साल 2004 में फिर से पाकिस्तान आए. उन्हीं के दौर में साल 2003 का सीज़फायर लागू हुआ.''
''उसके बाद उन्होंने एक नज़्म भी लिखी थी कि हम चाहते हैं कि कश्मीर मसला हल हो..इंसानियत के दायरे में, कश्मीरियत के दायरे में, जम्हूरियत के दायरे में. मैं श्रद्धांजलि देना चाहता हूं भारत के सबसे बड़े स्टेट्स्मैन को.''

Monday, August 13, 2018

中印应开启经验共享型环境合作模式

015年莫迪总理访华时,曾引用谚语“一年树谷,十年树木,百年树人”,并对中国悠久的好学传统赞赏有加。他指出,知识和借鉴也同样是印度至高无上的核心理念。中国发展高层论坛将于本周在北京开幕,中印两国应该将彼此视为合作和分享知识的伙伴,共同应对我们这个时代最紧迫的挑战。

两国在增长和减贫上都取得了非凡的成就。中国已经连续30年保持快速增长,让7亿人民摆脱了贫困。2003年之后的十年间,印度的GDP平均增速保持在9%左右,已经超过中国成为世界增长最快的主要经济体。

但是,这些成就已经被高昂的环境成本和社会问题连累。比如收入不均:中国最富裕的1%家庭拥有全国财富的 三分之一 ,而在印度,这一数字则为 58%左右。让更多人享受到发展红利是一大关键。对中印来说,未来增长应重质胜于重量。

同时,汽车、发电站和工厂造成的空气污染每年在两国导致的过早死亡人数都超过百万。能源密集型制造业、快速城镇化以及过高的能源和消费需求已经让两国成为世界排名第一和第三的温室气体排放国。近来,两国都已认识到化石燃料无法支撑他们未来的发展需求。

中国的 “十三五”规划(2016-2020)设定了建设“生态文明”的目标,包括摒弃污染工业,以及向资源密集度更低的消费方式转型。今年中国将在7个碳交易试点平台的基础上,正式启动全国碳交易体系,建成世界最大的排放交易机制。

印度继承圣雄甘地的遗志,签署了具有里程碑意义的《巴黎协定》,做出了庄严的气候承诺并制定了宏伟的目标。印度计划到2022年可再生能源总装机达到1.75亿千瓦,并且近来光电的拍卖价格已经低于3卢比(4美分)/千瓦·时。这些都标志着未来太阳能发电的极大潜力。印度不仅正朝着巴黎协定的可再生能源目标大步前进,而且还能比日程提前三年完成目标。

尽管处于不同的发展阶段,但两国经济都准备向高质量、高弹性和包容性的增长转型,而城镇化和能源则是决定转型成功与否的关键领域。

城镇化对两国经济都起着推动作用,但也让两国城市承受着巨大的成长烦恼。已经达到危险级别的空气污染给健康和GDP带来了严重负担,同时也提升了公民意识和行动。交通堵塞也成了中印城市面临的一大挑战,其成本分别占班加罗尔(印度第三大城市)和北京经济总量的5%和10%。中印两国都采取了优化城市发展的措施。中国的36个低碳试点城市制定了雄心勃勃的减碳目标,印度政府则通过“智能城市”计划大力完善城镇化进程。通过比较和相互影响,两国可以从彼此身上学到很多东西。

最近,印度的一项城镇化研究利用夜晚灯光的卫星数据对各城市的城市形态与其经济增长进行比较。研究发现,布局较为紧凑的印度城市在2002-2012的十年间
获得了高于其他城市的经济增速。或许在中国也可以进行类似的研究,这样做至少可以分享一个经验:更好、更可持续的城市能够带来清晰而现实的发展机遇。

至于能源,中印都在可再生能源和能效方面取得了巨大进展,但仍然严重依赖化石燃料。两国之间在技术开发和部署上也有充分的合作机会。比如,中国拥有世界最大的太阳能都和风能设备制造厂,更是清洁能源投资的领头羊。印度的可再生能源目标如果顺利实现,其体量将相当于2014年全世界太阳能装机的总和。

两国也都在减少化石燃料补贴 。中国开始进行内部核算,确定了9个需要改革的补贴项目。印度则取消了对柴油和煤油的限价并实施煤炭税,此项改革的一部分收入还汇入了清洁能源基金。中国可以在这方面吸取印度的经验。

两国在未来几年做出的决策将对地球命运和世界发展产生重大影响。一旦携手共进,中印两国必将对世界产生不可估量的巨大影响。