Wednesday, September 26, 2018

एनडीए 2019 में बहुमत तक नहीं पहुंच पाएगा, त्रिशंकु संसद होगी- एन. राम

  • बोले- महागठबंधन हुआ तो वाराणसी सीट ही खतरे में
  • यह भी कहा- बिना चैलेंज सारी शक्ति मोदी के पास, बॉस कौन है इस पर किसी को शक नहीं, पड़ोसियों से संबंध सुधारे
 
जवाब- भाजपा के पास 2019 के लिए कोई बड़ा मुद्दा नहीं है, बस यही है कि विपक्ष बिखरा हुआ रहता है और राहुल गांधी का मजाक उड़ाना। मोदी की वैश्विक छवि को जरूर जनता के बीच भाजपा रखेगी। करप्शन सबसे बड़ा और प्रभावी मुद्दा होगा, ऐसा भी नहीं लग रहा। मोदी सरकार तो हेल्थ स्कीम लाने में भी लेट हो गई है। आने वाली सरकार इसे जारी रखेगी, कहा नहीं जा सकता है। राहुल गांधी काफी आक्रामक हो गए हैं और उन्हें गंभीरता से लिया जा रहा है।

सवाल- 2014 में भाजपा ने गुजरात और हिन्दीभाषी राज्यों में लगभग 50% सीटें जीती थीं। यहां भाजपा सीटें गंवाती है तो कैसे और कहां से इनकी पूर्ति कर पाएगी?

जवाब- भाजपा हिंदी बेल्ट के नुकसान की भरपाई नहीं कर पाएगी। हालांकि महाराष्ट्र के बारे में अभी ज्यादा कुछ नहीं कह पाऊंगा। महाराष्ट्र में शिवसेना की स्थिति देखनी पड़ेगी। वह अंतिम समय तक कुछ भी कर सकती है। यहां पार्टी 2014 की तुलना में अधिक सीटें जीत सकती है। पूर्वोत्तर राज्यों में कुछ अधिक सीटें अवश्य भाजपा जीत सकती है। गुजरात में भी नुकसान में रहेगी। तेलंगाना और आंध्र में भी बीजेपी की स्थिति में परिवर्तन की संभावना नहीं है। तमिलनाडु में डीएमके बीजेपी के साथ नहीं जाएगी। प. बंगाल में बीजेपी दूसरे नंबर पर रहेगी, लेकिन वोट ही बढ़ा पाएगी, सीटें तृणमूल कांग्रेस की बढ़ेंगी। कर्नाटक में कांग्रेस और जेडी एस का सही गठबंधन हुआ तो भाजपा को अधिक मुश्किल होगी। यूपी, बिहार, गुजरात और एमपी में अवश्य नुकसान होगा। भाजपा अपने नुकसान की भरपाई कहीं से भी नहीं कर पाएगी।

सवाल- विपक्ष का आरोप है मोदी सरकार में सांप्रदायिकता-कट्‌टरता बढ़ी है। आप क्या मानते हैं?

जवाब- हां, यह बढ़ी है। हिंदू दंगे भी बढ़े हैं। पर मुझे नहीं पता कि बहुमत हिंदू ऐसा चाहता भी है कि नहीं। मोहन भागवत भी बीच-बीच में बोलते हैं। अयोध्या मुद्दे से भी लोग उदासीन हो गए हैं। गौरी लंकेश की हत्या, मॉब लिंचिंग की घटनाएं तो यही साबित करती हैं कि मोदी सरकार में अतिवाद  बढ़ा है। एक्सट्रीमिस्ट बढ़े हैं और सांप्रदायिकता मुख्यधारा में आ गई है। संवैधानिक मूल्यों को चोट पहुंची है। इतिहास नए सिरे से लिखने की कोशिश हो रही है। राष्ट्रीय स्तर पर यह विशेषरूप से सुरक्षा को खतरा है ऐसा भी नहीं है।

वाल- चेहराविहीन विपक्ष मोदी का सामना कैेसे करेगा ?

जवाब-2004 में भी यह मुद्दा था कि वाजपेयी के सामने कौन? उस समय शरद पवार ने मुझसे कहा था कि हम जीत रहे हैं, एक ही कमजोरी है कि चेहरा नही है। फिर यूपीए जीता। उस समय भी सोनिया गांधी को प्रधानमंत्री के उम्मीदवार के रूप में पेश नहीं किया गया था। ना ही मनमोहन सिंह को। मुझे लगता है कि चेहरा ना होना कोई मुद्दा नहीं है, बल्कि यह फायदेमंद है।

सवाल- यदि चुनाव में मोदी सरकार को पूर्ण बहुमत नहीं मिला तो विपक्ष की ओर से प्रधानमंत्री के पद के लिए सबसे सक्षम व्यक्ति कौन है और क्यों?

जवाब- एक अच्छा नाम शरद पवार ही हैं, उनके पास अच्छा अनुभव है, सबको साथ लेकर चल सकते हैं। बस उनकी सेहत साथ देना चाहिए, सभी दलों को वे स्वीकार्य हो सकते हैं। राहुल गांधी खुद एक बहुत अच्छा नाम हैं, कांग्रेस अगर सरकार बनाने का दावा करे तो। मायावतीजी हैं, एचडी देवेगौड़ा भी हो सकते हैं।
जवाब- अभी सभी संवैधानिक संस्थाओं को चोट पहुंचाई जा रही है। विरोधियों के विरुद्ध सीबीआई, इनकम टैक्स, ईडी और अन्य एजेंसियों द्वारा हमला किया जा रहा है। ईमानदार अधिकारी बहुत दबाव में हैं। मीडिया संस्थानों के खिलाफ भी काम हो रहा है जैसा कि हमने एनडीटीवी के मामले में भी देखा, जिसमें कोई भ्रष्टाचार नहीं था। लेकिन इसकी तुलना इमरजेंसी से नहीं की जा सकती। लिंचिंग की घटनाएं भी लगातार हो रही हैं। 2014 में बनी स्पष्ट बहुमत की सरकार भारतीय इतिहास की सबसे कम वोट शेयर लेकर बनी स्पष्ट बहुमत की सरकार थी, सिर्फ 31 फीसदी वोट। मोदी सरकार को आसानी से हराया जा सकता है। प. बंगाल में ममता बनर्जी, दक्षिण भारत में क्षेत्रीय पार्टियां बहुत मजबूत हैं। सपा, बसपा और कांग्रेस का गठबंधन हुआ तो वाराणसी सीट खतरे में पड़ जाएगी। यूपी में भाजपा फेल हो सकती है। बिहार में आरजेडी और सहयोगियों ने उपचुनावों में बहुत अच्छे परिणाम दिए हैं। भाजपा 2019 में सबसे बड़ा दल हो सकती है, जो स्पष्ट बहुमत से बहुत दूर होगी। एनडीए को भी बहुमत नहीं मिलेगा। मुझे लगता है कि त्रिशंकु संसद होगी।
नई दिल्ली. दक्षिण भारत का सबसे प्रतिष्ठित मीडिया हाउस द हिंदू है। अंग्रेजी दैनिक द हिंदू ने हाल ही में 140 वर्ष पूर्ण किए हैं। ग्रुप के चेयरमैन, लेखक और विचारक एन. राम से चेन्नई में भास्कर के धर्मेन्द्र सिंह भदौरिया ने 2019 के आम चुनाव के परिदृश्य और संभावनाओं पर विशेष चर्चा की।

Monday, September 10, 2018

विवेचनाः रिझाने की कला भूलते जा रहे हैं भारतीय?

ये एक विडंबना है कि भारत जैसे देश में जहाँ कामसूत्र की अवधारणा रची गई और प्रेम की भाषा को खजुराहो, दिलवाड़ा, अजंता और एलोरा के पत्थरों पर उकेरा गया, वहीं लोग प्रेम संवाद और रिझाने की कला भूलते जा रहे हैं.
एक अंग्रेज़ लेखक हुए हैं साइमन रेवेन जिनका मानना था कि 'सेक्स एक 'ओवररेटेड 'अनुभूति है जो मात्र 10 सेकेंड के लिए रहती है.' वो सवाल करते थे कि भला कोई क्यों प्राचीन भारत के ' एरॉटिक साहित्य' का अनुवाद करने की ज़हमत उठाए?
मैंने यही सवाल रखा चर्चित पुस्तक 'द आर्ट्स ऑफ़ सिडक्शन' की लेखिका डॉक्टर सीमा आनंद के सामने और पूछा कि क्या वो साइमन रेवेन के वक्तव्य से सहमत हैं?
सीमा आनंद का जवाब था, ''बिल्कुल भी नहीं. मेरा मानना है कि सेक्स के बारे में हमारी सोच बदल गई है. कितनी शताब्दियों से हमें ये सिखाया जाता रहा है कि ये बेकार की चीज़ है. सेक्स गंदा है और इसे करना पाप है. कोई अब इससे मिलने वाले आनंद के बारे में बात नहीं करता. 325 ई में कैथलिक चर्च ने अपने क़ायदे-क़ानून बनाए जिसमें कहा गया कि शरीर एक ख़राब चीज़ है, शारीरिक सुख फ़िज़ूल है और इसको पाने की इच्छा रखना पाप है.''
''उनका कहना था कि सेक्स का एकमात्र उद्देश्य संतान को जन्म देना है. लगभग उसी समय भारत में वात्स्यानन गंगा के तट पर बैठ कर कामसूत्र लिख रहे थे और बता रहे थे कि वास्तव में आनंद बहुत अच्छी चीज़ है और इसको किस तरह से बढ़ाया जा सकता है. ''
पश्चिम और पूरब की सोच के बीच इस तरह का विरोधाभास आज के युग में अविश्वसनीय सा लगता है. 'अनंग रंग' ग्रंथ के अनुवादक डॉक्टर एलेक्स कंफ़र्ट ने इसीलिए तो कहा है कि साइमन रेवेन जैसे लोगों की सोच की काट के लिए ये ज़रूरी है कि रिझाने की कला के बारे में लोगों को और बताया जाए.
कहा जाता है कि एक प्रेमी के रूप में मर्द और औरत में बहुत फ़र्क होता है और उनकी यौनिकता यानि 'सेक्शुएलिटी' के स्रोत में भी ज़मीन आसमान का अंतर होता है.
सीमा आनंद बताती हैं, ''वात्स्यायन कहते हैं पुरुष की इच्छाएं आग की तरह हैं जो उसके जननांगों से उठ कर उसके मस्तिष्क की तरफ़ जाती हैं. आग की तरह वो बहुत आसानी से भड़क उठते हैं और उतनी ही आसानी से बुझ भी जाते हैं. इसके विपरीत औरत की इच्छाएं पानी की तरह हैं जो उसके सिर से शुरू हो कर नीचे की तरफ़ जाती हैं. उनको जगाने में पुरुषों की अपेक्षा ज़्यादा वक्त लगता है और एक बार जागने के बाद उन्हें ठंडा करने में भी ख़ासा वक्त लगता है.''
''अगर मर्दों और औरतों को उनके हाल पर छोड़ दिया जाए तो उनकी इच्छाओं में कभी मेल नहीं हो सकता. इसलिए मर्दों को औरतों को रिझाने की ज़रूरत होती है ताकि उनके स्नायुओं के छोर को उत्तेजित किया जा सके. मेरी ये किताब लिखने का उद्देश्य यही है कि रिझाने की कला हर शख़्स के जीवन का एक अंग बन जाए.''
सेक्स पर काफ़ी शोध कर चुके भारत के नामी सेक्सोलॉजिस्ट में से एक डॉक्टर प्रकाश कोठारी स्त्री पुरुष के प्रेम के अंतर को एक दूसरे ढ़ंग से समझाते हैं.
वो कहते हैं, ''मर्द प्यार देता है सेक्स पाने के लिए जबकि औरत सेक्स देती है प्यार पाने के लिए. कम से कम भारत के संदर्भ में ये बात सोलह आने सच है.''त्री-पुरुष संबंधों में शरीर को सुगंधित करने की कला का बहुत महत्व है. अगर किसी स्त्री को किसी पुरुष को आकर्षित करना है तो वो उसे अपने बालों से छूते हुए निकलेगी और अपने पीछे एक ख़ास सुगंध छोड़ जाएगी.
सीमा आनंद बताती है, ''मेरी पसंदीदा सुगंध ख़स की महक है जो बहुत कुछ गर्म धरती पर बारिश की पहली फुआर से उठने वाली सुगंध से मिलती-जुलती है. इस सुगंध को थोड़े से नम बालों पर सुबह सुबह लगा कर उसका जूड़ा बनाया जाता है. गर्दन पर चमेली या रजनीगंधा के फूलों का इत्र लगाया जाता है. स्तनों पर केसर और लौंग के तेल की मालिश की जाती है.''
''इससे न सिर्फ़ अच्छी महक उठती है, बल्कि त्वचा का रंग भी खिल उठता है. दिलचस्प बात ये है कि हर इत्र की हर शरीर पर अलग-अलग महक होती है.''
सीमा आनंद की सलाह है कि औरतों को अपने हैंड बैग के अंदर भी 'पर्फ़्यूम' स्प्रे करना चाहिए, ताकि जब भी आप इसे खोलें, आपको सुगंध का एक भभका महसूस हो और आपका मूड एकदम से खिल जाए.
बेहतर होगा अगर आप अपने जूते या सैंडिल के अंदर भी इत्र का स्प्रे करें क्योंकि पैरों के अंदर बहुत-सी इंद्रियाँ होती हैं जिनपर इनका ख़ासा असर पड़ता है.
सीमा आनंद एक दिलचस्प बात बताती हैं कि स्त्री-पुरुष संबंधों को ताज़ा और रोमांचक बनाने के लिए उनके बीच कभी-कभार झगड़ा होना भी ज़रूरी है.
सीमा बताती हैं, ''वात्स्यायन का कहना है कि ये लड़ाई तभी सफल होती है जब स्त्री-पुरुष के बीच गहरे प्रेम संबंध और आपसी विश्वास हो. लेकिन अगर उनके बीच पहले से ही कड़वाहट हो तो इस तरह कि लड़ाई विकराल रूप ले लेती है, जिसका कोई इलाज नहीं होता है.''
''ये झगड़ा हमेशा पुरुष शुरू करता है. औरत नाराज़ हो कर चिल्लाती है, अपने गहने फेंक देती है, चीज़े तोड़ती है और पुरुष पर फेंक कर मारती है. लेकिन इस लड़ाई का एक नियम है कि चाहे जो हो जाए, वो अपने घर के बाहर कदम नहीं रखती है. कामसूत्र इसका कारण भी बताता है.''
''पहला यह कि अगर पुरुष उसको मनाने उसके पीछे घर से बाहर नहीं जाएगा, तो उसका यानि स्त्री का अपमान होगा. दूसरे इस लड़ाई का अंत तब होता है जब पुरुष स्त्री के पैर पर गिर कर उससे माफ़ी मांगता है और ये काम वो घर के बाहर नहीं कर सकता.''
कामसूत्र की बात मानी जाए तो प्रणय निवेदन करने की एक गुप्त भाषा होती है और इज़हारे इश्क़ सिर्फ़ ज़ुबान से ही नहीं किया जाता.
सीमा आनंद बताती हैं, ''चाहे आप ज़िंदगी में जितने सफ़ल हों, आपके पास कितना ही धन हो, आप बौद्धिक भी हों, लेकिन अगर आपको प्रेम की गुप्त भाषा नहीं आती तो सब बेकार है. आप को कभी पता नहीं चलेगा कि आपकी प्रेमिका आप से क्या कहना चाह रही हैं और आप कभी सफ़ल नहीं हो पाएंगे.''
''पुराने ज़माने में ये कला इतनी विकसित थी कि आप अपने पार्टनर से बिना कोई शब्द बोले गुफ़्तगू कर सकते थे. मसलन आप किसी मेले में हैं और आपकी प्रेमिका दूर खड़ी दिख गईं तो आप कान के ऊपर वाले हिस्से को हाथ लगाएंगे. इसका मतलब हुआ आप कैसी हैं?''
''अगर आपकी प्रेमिका अपने कान के नीचे वाला हिस्सा पकड़ कर आपकी तरफ़ देखें, इसका मतलब हुआ कि आपको देख कर अब बहुत ख़ुश हो गईं हूँ. अगर प्रेमी अपना एक हाथ दिल पर रखे और दूसरा सिर पर, इसका मतलब हुआ कि तुम्हारे बारे में सोच-सोच कर मेरा दिमाग ख़राब हो चला है. हम कब मिल सकते हैं?''

Wednesday, September 5, 2018

आपके दिल की उम्र आपसे ज़्यादा तो नहीं

कहीं आपके दिल की उम्र आपकी उम्र से ज़्यादा तो नहीं? अगर ऐसा है तो सावधान हो जाइए.
पब्लिक हेल्थ इंग्लैंड ने 30 साल से ज़्यादा उम्र के लोगों से अपने दिल की उम्र पता करने के लिए एक ऑनलाइन टेस्ट कराने की अपील की है.
इस टेस्ट से पता चल जाएगा कि उन्हें दिल का दौरा पड़ने या स्ट्रोक होने का कितना ख़तरा है.
एक अनुमान के मुताबिक़ अगर दिल की सेहत को दुरुस्त कर लिया जाए, तो 75 साल से कम उम्र के लोगों को होने वाले 80% हार्ट अटैक और स्ट्रोक रोके जा सकते हैं.
पब्लिक हेल्थ इंग्लैंड के मुताबिक़ अस्वस्थ जीवनशैली की वजह से पांच में से चार वयस्कों की उम्र कम हो जाती है.
इससे बचने के लिए लोगों को धूम्रपान छोड़ देना चाहिए, सेहतमंद खाना लेना चाहिए और व्यायाम करना चाहिए.
59 साल के डेविड ग्रीन ने ऑनलाइन टेस्ट करवाया है.
वो कहते हैं, "वो बहुत ही बुरा पल था, जब मुझे पता चला कि मेरा दिल मुझसे 10 साल बड़ा है और इसकी वजह से मेरी उम्र घट जाएगी. लेकिन मैंने इस जानकारी को सकारात्मक रूप में लिया और सेहत पर ध्यान देने शुरू कर दिया." विड एक थिएटर कंपनी के साथ काम करते हैं. अपने एक नाटक के लिए रिहर्सल करते हुए उन्हें कुछ दिक्कत महसूस हुई. इसके बाद उन्होंने ये टेस्ट कराने का फैसला किया था.
वो कहते हैं, "मेरी उम्र 59 साल है, इसलिए मैंने सोचा था कि शायद मेरे दिल की उम्र 62 या 63 होगी. लेकिन मेरे दिल की उम्र मुझसे 10 साल ज़्यादा निकली. ये सुनकर मैं हैरान था."
"उन्होंने कहा कि आपको कुछ करना होगा नहीं तो आप पेंशन का ज़्यादा फायदा नहीं ले पाएंगे."
"मैंने ये जानकारी देने के लिए उन्हें शुक्रिया कहा. मुझे अभी और जीना है, मैं जल्दी मरना नहीं चाहता, इसलिए मैंने अपने दिल का ख्याल रखने का फैसला कर लिया."
मोटापा, ग़लत खान-पान, व्यायाम ना करना और उच्च रक्तचाप दिल के लिए ख़तरा पैदा करते हैं. कुछ आदतों को बदलकर इस ख़तरे को टाला जा सकता है.
  • धूम्रपान छोड़ दें
  • सक्रिय रहें
  • वज़न पर नियंत्रण रखें
  • ज़्यादा फ़ाइबर खाएं
  • संतृप्त वसा को कम करें
  • दिन में पांच सब्ज़ी या फल खाएं
  • नमक की खपत कम करें
  • मछली खाएं
  • शराब कम पिएंरीब 20 लाख लोगों ने हार्ट एज टेस्ट करवाया है. जिनमें से 78% के दिल की उम्र उनकी असल उम्र से ज़्यादा है. ये उन लोगों के लिए ख़तरे की घंटी है. इनमें से 34% लोगों के दिल की उम्र उनकी उम्र से पांच साल ज़्यादा थी और 14% की कम से कम 10 साल ज़्यादा थी.
    इग्लैंड में हर साल 84 हज़ार से ज़्यादा लोगों की मौत हार्ट अटैक या स्ट्रोक की वजह से होती है.
    टेस्ट में आपके शरीर और जीवनशैली को लेकर 16 आसान सवाल पूछे जाते हैं. जवाबों के आधार पर दिल की उम्र बताई जाती है और ये भी बताया जाता है कि हार्ट अटैक या स्ट्रोक का ख़तरा किस उम्र में हो सकता है.

    म्रपान छोड़ने के एक साल बाद दिल की बीमारी का ख़तरा आधा हो जाता है.
    कम से कम 150 मिनट तक व्यायाम करके भी ख़तरे को कम किया जा सकता है.
    यहां क्लिक कर टेस्ट कर सकते हैं.
    डेविड ने जिम जाना शुरू कर दिया है. शराब का सेवन कम किया है और ज़्यादा सेहतमंद खाना खा रहे हैं. ये सब करने से डेविड की सेहत में काफी सुधार हुआ है.

Sunday, September 2, 2018

रहस्यमयी रासलीला: शाम होते ही लोग क्यों छोड़ देते हैं निधिवन?

प्रेम पत्र में रुक्मिनी ने 7 श्लोक लिखे थे. रुक्मिनी का प्रेम पत्र श्रीकृष्ण के दिल को छू गया और उन्हें रुक्मिनी का अनुरोध स्वीकार करना पड़ा. इस तरह रुक्मिनी श्रीकृष्ण की पहली पत्नी बन गईं. वहीं, दूसरी तरफ श्रीकृष्ण और राधा को विवाह की आवश्यकता ही नहीं राधा श्रीकृष्ण के बचपन का प्यार थीं. श्रीकृष्ण जब 8 साल के थे तब दोनों ने प्रेम की अनुभूति की. इसके बाद पूरी जिंदगी श्रीकृष्ण से नहीं मिलीं. राधा श्रीकृष्ण के दैवीय गुणों से परिचित थीं. उन्होंने जिंदगी भर अपने मन में प्रेम की स्मृतियों को बनाए रखा. यही उनके रिश्ते की सबसे बड़ी खूबसूरती है.थी. ऐसी भी मान्यता है कि श्रीकृष्ण ने राधा से इसलिए विवाह नहीं किया क्योंकि वह साबित करना चाहते थे कि प्रेम और विवाह दो अलग-अलग चीजें हैं. प्रेम एक नि:स्वार्थ भावना है जबकि विवाह एक समझौता या अनुबंध है.एक मत के मुताबिक, श्रीकृष्ण ने राधा से इसलिए विवाह नहीं किया ताकि मानव जाति को बेशर्त और आंतरिक प्रेम को सिखाया जा सके. राधा-श्रीकृष्ण का संबंध कभी भी भौतिक रूप में नहीं रहा बल्कि वह बहुत ही आध्यात्मिक प्रकृति का है. पौराणिक कथाओं में प्रचलित अन्य कथाओं की तुलना राधा-कृष्ण से नहीं की जा सकती है.हालांकि राधा-कृष्ण के प्रेम की कितनी भी व्याख्याएं क्यों ना कर ली जाए, सब कम ही है. उनका प्रेम हमेशा मानव जाति के लिए आध्यात्मिक प्रकाश की तरह जीवित रहेगा.
भगवान श्री कृष्ण के बांके बिहारी रूप और बाल लीलाओं के लिए विख्यात मथुरा जिले के वृंदावन में लाखों लोग दर्शन के लिए आते हैं. इसी वृंदावन में एक ऐसी जगह भी मौजूद है जिसको लेकर मान्यता है कि वहां हर रात भगवान  श्री कृष्ण और राधा रास रचाने आते हैं.
निधिवन के नाम से पहचानी जाने वाली इस जगह को लेकर कई ऐसी मान्याताऐं हैं, जिन पर विश्वास करना कठिन है. जानिए निधिवन की मान्यताओं और उससे जुड़ी रोचक कहानियों के बारे में.निधिवन में मौजूद पंडित और महंत बताते हैं कि हर रात भगवान  श्री कृष्ण के कक्ष में उनका बिस्तर सजाया जाता है, दातून और पानी का लोटा रखा जाता हैं. जब सुबह मंगला आरती के लिए पंडित उस कक्ष को खोलते हैं तो लोटे का पानी खाली, दातून गिली, पान खाया हुआ और कमरे का सामान बिखरा हुआ मिलता है. पौराणिक मान्यता है कि निधिवन बंद होने के बाद भी यदि कोई छिपकर रासलीला देखने की कोशिश करता है तो वह पागल हो जाता हैं. मंदिर के महंत और आसपास के लोग इससे जुड़े कई किस्से सुनाते हैं. दावा ये भी किया जाता है कि वहां मौजूद पशु-पक्षी भी शाम होते ही, वन छोड़ देते हैं.निधिवन में मौजूद पेड़ भी अपनी तरह के बेहद खास हैं. जहां आमतौर पर पेड़ों की  शाखाएं ऊपर की और बढ़ती है, वहीं निधि वन में मौजूद पेड़ों की शाखाएं नीचे की और बढ़ती हैं बढ़ती हैं. इन पेड़ों की स्थि‍त ऐसी है कि रास्ता बनाने के लिए उनकी शाखाओं को डंडों के सहारे फैलने सो रोका गया हैं.ऐसी मान्यता है कि जो रात में होने वाले भगवान श्री कृष्ण और राधा के रास को देख लेता है वो पागल या अंधा हो जाता हैं. इसी कारण निधिवन के आसपास मौजूद घरों में लोगों ने उस तरफ खिड़कियां नहीं लगाई हैं.
कई लोगों ने अपनी खिड़कियों को ईंटों से बंद करा दिया है. आसपास रहने वाले लोगों के मुताबिक शाम सात बजे के बाद कोई इस वन की तरफ नहीं देखता.
निधिवन में ही ठा. बिहारी जी महाराज का दर्शन स्थल हैं. मान्यता है कि संगीत सम्राट और धुरपद के जनक स्वामी हरिदास भजन गाया करते थे. माना जाता है कि बांके बिहारी जी ने उनकी भक्ति संगीत से प्रसन्न होकर एक सपना दिया. सपने में कहा कि मैं तुम्हारी साधना स्थल में ही विशाखा कुंड के पास जमीन में छिपा हूं. सपने के बाद हरिदास जी ने अपने शिष्यों की मदद से बिहारी जी को निकलवाया और मंदिर की स्थापना की.