Sunday, May 26, 2019

बीबीसी न्यूज़ मेकर्स

पिछली सरकार के दौरान कुछ चीज़ें पहली बार हुईं, जैसे कि सुप्रीम कोर्ट के जजों को प्रेस कॉन्फ्रेंस करनी पड़ी और आरोप लगाया गया कि न्यायपालिका के कामकाज को प्रभावित करने की कोशिश की जा रही है.
सीबीआई के निदेशक की नियुक्ति के दौरान भी उठा-पटक देखने को मिली.
माना जाता है कि विपक्ष अगर मज़बूत हो तो सरकार को अनेक बार अपने कदम वापस खींचने पड़ते हैं और वो निरंकुश नहीं होती.
नवीन जोशी कहते हैं,"अतिशय बहुमत निरंकुशता की ओर ले जाती है, ये स्थापित सिद्धांत है और इतिहास ने इसे बार-बार साबित किया है. अगर पिछली बार मज़बूत विपक्ष होता तो संवैधानिक संस्थानों से छेड़छाड़ के आरोप सरकार पर नहीं लगते."
1971 की इंदिरा गांधी सरकार के बाद यह पहली बार है जब कोई पार्टी 300 के आंकड़े को पार कर पाई है. पिछली बार भाजपा को 282 सीटें मिली थीं.
लोकसभा में पार्टी बहुमत में थी, जिसकी वजह से कई विधेयकों को मंज़ूरी दिलाने में आसानी हुई. लेकिन तीन तलाक के मामले में यह विधेयक राज्यसभा में अटक गया.
राज्यसभा में वर्तमान में 245 सांसद हैं, जिनमें से 241 का चुनाव और चार सांसदों को नामित किया गया है. यहां भाजपा के 102 सदस्य हैं.
राज्यसभा में बहुमत से पार्टी महज 20 सीटें कम है. विश्लेषकों के मुताबिक अगले साल भाजपा राज्यसभा में भी बहुमत में आ जाएगी.
लोकसभा और राज्यसभा, दोनों में बहुमत में आने के बाद भाजपा के लिए किसी भी कानून में बदलाव लाना और नया कानून बनाना आसान हो सकता है.
लोकसभा चुनावों के दौरान विपक्षी पार्टियां भी यह आरोप लगाती रही थीं कि इस बार भाजपा अगर सरकार बनाती है तो वो ऐसे फ़ैसले लेगी, जो पहले कभी नहीं लिए गए हैं.
नवीन जोशी कहते हैं कि राज्यसभा में अगले एक साल तक एनडीए को बहुमत नहीं है. लेकिन इसके बाद जब गठबंधन वहां बहुमत में आएगा तो यह हो सकता है कि वो विवादित फ़ैसले ले.
तो क्या अनुच्छेद 370 और 35ए ख़त्म करने की ओर जाएगी पार्टी? भाजपा के घोषणा पत्र में जिक्र है कि उनकी सरकार अनुच्छेद 370 को हटाएगी.
राम मंदिर बनाने का भी पार्टी का वादा है. चुनावों में पार्टी ने इसे बड़ा मुद्दा नहीं बनाया लेकिन उनके एजेंडे में यह शामिल है.
जानकार बताते हैं कि ऐसे में साधु सन्यासी और संघ के कट्टर समर्थकों की ओर से यह दबाव बनाया जा सकता है कि सरकार राम मंदिर को लेकर अध्यादेश या विधेयक लाए.
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